What is Khasra Number - खसरा नंबर क्या है? इसे कैसे प्राप्त करें

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खसरा संख्या भारत के भूलेख रिकॉर्ड में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। खसरा संख्या के जरिए आप अपने किसी भी जमीन के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस लेख में खसरा संख्या क्या है और खसरा संख्या से संबंधित सारी जानकारी देने वाले हैं, जैसे कि खसरा संख्या का इस्तेमाल कैसे किया जाता है और खसरा संख्या का लाभ क्या है।

खसरा नंबर क्या है?

खसरा संख्या को डीएजी नंबर के नाम से भी जाना जाता है। खसरा एक फारसी शब्द है जिसका इस्तेमाल भारत में किसी जमीन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। खसरा एक सरकारी दस्तावेज़ है जो किसी विशेष भूमि के टुकड़े का विवरण प्रदान करता है।

इसमें उस भूमि का क्षेत्रफल, मालिक का नाम, भूमि का उपयोग (कृषि, आवासीय आदि), और सीमाओं की जानकारी शामिल होती है। खसरा नंबर उस जमीन के टुकड़े की पहचान के लिए एक विशिष्ट नंबर होता है।

यह दस्तावेज़ जमीन के स्वामित्व, कर भुगतान, और भूमि से संबंधित कानूनी और प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

खसरा संख्या कैसे निर्धारित की जाती है?

खसरा संख्या को निम्नलिखित प्रक्रिया के तहत निर्धारित किया जाता है:

  • भूमि सर्वेक्षण: सबसे पहले, भूमि का सर्वेक्षण किया जाता है। इस सर्वेक्षण में गांव या क्षेत्र की पूरी भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक टुकड़े की सीमाओं, क्षेत्रफल, और अन्य विवरणों को मापा और रिकॉर्ड किया जाता है।
  • भूमि का विभाजन: सर्वेक्षण के दौरान, भूमि को उसके उपयोग, स्वामित्व, और आकार के आधार पर विभाजित किया जाता है। हर टुकड़ा अलग-अलग पहचान के लिए दर्ज किया जाता है।
  • खसरा संख्या का आवंटन: प्रत्येक भूमि के टुकड़े को एक अद्वितीय खसरा संख्या दी जाती है। यह संख्या आमतौर पर क्रमबद्ध होती है और गांव या क्षेत्र में अन्य सभी टुकड़ों से अलग होती है
  • रिकॉर्ड में दर्ज: एक बार खसरा संख्या आवंटित हो जाने के बाद, इसे सरकारी रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जाता है। यह जानकारी ग्राम या तहसील स्तर के राजस्व रिकॉर्ड्स में सुरक्षित रखी जाती है.
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यदि भूमि का स्वामित्व बदलता है या उसमें कोई बदलाव होता है, तो खसरा संख्या में भी परिवर्तन दर्ज किया जाता है, लेकिन आमतौर पर खसरा संख्या वही रहती है और उसी भूमि के टुकड़े के लिए मान्य रहती है।

खसरा संख्या भूमि के प्रबंधन और पहचान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, और इसे सरकारी भूमि रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जाता है ताकि भविष्य में भूमि से संबंधित कोई भी कार्य आसानी से किया जा सके।

महत्व

खसरा संख्या का महत्व निम्नलिखित कारणों से है:

  • भूमि की पहचान: खसरा संख्या किसी विशेष भूमि के टुकड़े की पहचान के लिए एक विशिष्ट संख्या है, जिससे उस भूमि को आसानी से पहचाना और रिकॉर्ड किया जा सकता है। यह संख्या भूमि के क्षेत्रफल, स्वामित्व, और उपयोग का रिकॉर्ड रखने में मदद करती है।
  • कानूनी मान्यता: खसरा संख्या का उपयोग भूमि के स्वामित्व से जुड़े कानूनी दस्तावेज़ों में किया जाता है। किसी भी कानूनी विवाद, भूमि हस्तांतरण, या अन्य प्रशासनिक कार्यों में खसरा संख्या का उल्लेख आवश्यक होता है।
  • भूमि रिकॉर्ड्स में दर्ज: सरकारी रिकॉर्ड्स में खसरा संख्या के तहत भूमि की सारी जानकारी सुरक्षित रखी जाती है, जिससे भविष्य में जमीन से संबंधित कोई भी जानकारी प्राप्त करना सरल होता है।
  • कर निर्धारण: खसरा संख्या के आधार पर भूमि कर (land tax) का निर्धारण और संग्रहण किया जाता है। यह संख्या यह सुनिश्चित करती है कि कर का सही मूल्यांकन और भुगतान हो सके.
  • विवाद समाधान: जमीन से जुड़े विवादों में खसरा संख्या एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह संख्या भूमि के स्वामित्व और सीमाओं की पुष्टि में सहायक होती है, जिससे विवादों का निपटारा किया जा सकता है।
  • भूमि का उपयोग: खसरा संख्या के माध्यम से यह निर्धारित किया जा सकता है कि किसी विशेष भूमि का उपयोग किस उद्देश्य के लिए हो रहा है, जैसे कि कृषि, आवासीय, या औद्योगिक उपयोग। यह जानकारी भूमि प्रबंधन और योजना के लिए आवश्यक होती है।

कुल मिलाकर, खसरा संख्या भूमि की पहचान, प्रबंधन, और कानूनी कार्यों में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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उत्तर प्रदेश के नागरिक खसरा संख्या को https://upbhulekh.gov.in/ या https://upbhunaksha.gov.in/ पोर्टल के जरिए प्राप्त कर सकते हैं.